मुंगेली जिले के 9 लाख क्विंटल धान बिलासपुर के मत्थे चढ़ने से सड़ रहा साढ़े दस लाख क्विंटल धान

मुंगेली जिले का ठीकरा फुट रहा बिलासपुर परबिलासपुर के मात्र डेढ़ लाख क्विंटल की ही थी बचत-मिलरों के सरकारी मिलिंग की बजाय निजी मिलिंग में अधिक ध्यान देने के कारण यह स्थिति हुई निर्मित-

हर साल शराब माफियाओं को होता है लाभ

बिलासपुर

जिले के संग्रहण केंद्रों में साढ़े दस लाख क्विंटल धान बारिश में भीग रहा है। अफसरों के अनुसार इस धान को 4 माह तक नहीं उठा पाएंगे लिहाजा यह बारिश में भी सड़ जाएगा। अब तक धान नहीं का उठने का कारण अफसर मिलरों द्वारा मिलिंग नहीं करना बता रहे हैं।
जिले में धान खरीदी जनवरी-फरवरी तक हो गई थी। तब से जून तक संग्रहण केंद्रों से खुले में रखे धान को उठाकर उनकी मिलिंग हो जानी थी। इनमें भरनी संग्रहण केंद्र में चार लाख क्विंटल धान पड़ा हुआ है। कुछ जगहों पर तिरपाल ज़रूर लगा है लेकिन कई जंगहों पर धान के बोरे खुले में रखे हुए हैं। संग्रहण केंद्र के कर्मचारी बतातें हैं कि डीओ नहीं कटने की वजह से मिल नहीं ले जा रहे हैं। यह स्थिति सिर्फ भरनी संग्रहण केंद्र में ही नहीं है अपितु मोपका संग्रहण केंद्र में भी 3 लाख क्विंटल धान खुले में बारिश में भीग रहा है।

मुंगेली जिले से 9 लाख क्विंटल धान आने से यह स्थिति-“जिले में धान का उठाव लगभग हो चुका था। सिर्फ डेढ़ लाख क्विंटल धान उठाव के लिए बचा था लेकिन मुंगेली जिले से नौ लाख क्वंटल धान आने और मिलरों के सरकारी मिलिंग की बजाय निजी मिलिंग में अधिक ध्यान देने के कारण यह स्थिति हुई है।

”शोभना तिवारी, जिला विपणन विभाग”

बिलासपुरशराब माफियाओं के लिए सड़ाया जाता है धान-

पुराने हालातो को देखा जाये तो धान संग्रहण केंद्रों के धान निर्धारित समय पर उठाया नही जाता है जिसके चलते निकट बरसात में यह धान वही सड़ जाता है।धान सड़ने के बाद जिला प्रशासन की एक ही जद्दोजहद देखी जाती है कि कुछ अधिकारियों, कर्मचारियों को निलंबन की गाज गिरा इसे औने पौने दाम पर नीलाम कर दिया जाता है और यह सड़ा हुआ धान सिर्फ शराब माफियाओं के शराब बनाने के अलावा और कोई काम का नही रहता है। मतलब देखा जाए तो पहले धान खरीदी के बाद प्रॉपर मिलिंग में उठाव ना होने बाद में धान सड़ने और कौड़ियो के दाम नीलाम करने पर करोड़ो,अरबो रुपयो का फिर प्रतिवर्ष राजस्व नुकसान किया जाता है। और यह तो अब एक व्यवस्था जैसा बना दिया गया।

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