Video: डीजीपी के आदेश को दरकिनार कर कार्य कर रही सरगुजा पुलिस
अम्बिकापुर
पुलिस की कार्यप्रणाली से अम्बिकापुर की जनता काफी हद तक हतभ्रत है।पुलिस का कार्य अपराध पर अंकुश लगाना होता है वही पर जब पुलिस ही लोगों को अपराध करने के लिए दबाव बनाए तो फिर जनता सुरक्षा की उम्मीद किससे करे।
ऐसी ही एक घटना अम्बिकापुर जिले के सिटी कोतवाली थाने की है जहाँ क्षेत्र के एक बड़े सटोरियों के खाईवाल सुधीर गुप्ता को कुछ दिन पूर्व पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायालय भेजा था,जहाँ से उसे जेल हो गई थी।बाद में वह जमानत में जेल से बाहर आया तो पुलिस उसपर पुनः सट्टा का आरोप लगाते हुए उससे तीन लाख रुपये का माँग करने लगी जिसपर वह सट्टा नही चलाने का हवाला देते हुए रुपये देने से इनकार करने लगा पुलिस ने उसे किसी भी तरीक़े से रुपये देने दबाव बनाने लगा अंतः डरकर सट्टा खाईवाल ने एक लाख रुपये तक दे पाने की बात कहने लगा जिसपर सिटी कोतवाली थाने से धीरज गुप्ता व गणेश मिश्रा सटोरिया सुधीर गुप्ता की धर्म पत्नी से एक लाख रुपये लाकर 10 हजार की जब्ती बनाकर खाना पूर्ति कर दिए है।जबकि अब सटोरिया किसी भी तरह इस कार्य से मुक्ति पाना चाहता था परंतु उसपर पुनः जबरन कार्यवाही कर उनसे एक लाख की उगाही कर पुलिस अपने ही अधिकारियों के आँख में धूल झोंक रही है।
जहाँ पर एक ओर राज्य के पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी क्राइम ब्रांच की मिल रही लगातार शिकायत पर न्याय संगत कार्य करते हुए पूरे राज्य में क्राइम ब्रांच को भंग करवा दिया लेकिन अम्बिकापुर पुलिस अधीक्षक आज भी क्राइम ब्रांच संचालित कर रहे है ये एक सोचनीय विषय है साथ ही सरगुजा संभाग के पुलिस महानिरीक्षक रतन लाल डांगी सीना ठोक कर अपने विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों जी जमकर तारीफ करते है लेकिन वे इस बात से अनभिज्ञ है कि उनके अधीनस्थ पुलिस अधिकारी व कर्मचारी की कार्यप्रणाली संदेहास्पद है।हाल ही में एक ऐसी ही घटना का उजागर हुआ था जिसमे अम्बिकापुर पुलिस अधीक्षक के गन मैन अपने वर्दी का धौंस दिखाकर वन विभाग से बाँस चोरी करते पकड़े गए थे,पकड़े जाने पर स्वयं को पुलिस अधीक्षक टी.आर.कोसीमा का गन मैन बताते हुए व बल का प्रयोग कर अवैध लकड़ी को पिकअप वैन में भरकर अम्बिकापुर रक्षित केंद्र में खड़ी शासकीय वाहनों के बीच छुपा दिए थे।राज्य के पुलिस महानिदेशक ने फरमान जारी करते हुए कहा था कि किसी भी पुलिस या अधिकारियों को किसी भी अवैध कार्य मे संलिप्त पाया गया तो उसपर तत्काल कार्यवाही की जाएगी लेकिन यहाँ तो ठीक विपरीत हो रहा है,सरगुजा पुलिस नियमों को ताक में रखते हुए व प्रशासन के नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए कार्य कर रही है।सरगुजा झारखंड के सीमाओं को छूती है इसलिए इस क्षेत्र में पुलिस का रवैया सख्त के साथ संवेदनशील भी होना चाहिए लेकिन लेकिन इस तरह रुपयों का मोह दिखाती रही तो अपराध रुकेंगे नही वरन और भी बढ़ जाएंगे।अब इस खबर को लिखने के बाद देखना यह है कि प्रदेश के अनुशासन प्रिय पुलिस महानिदेशक सरगुजा पुलिस के लिए कौन सा निर्णय लेती है।