Video: न्याय के लिए अपने महकमे का दरवाजा खटखटा रही महिला पुलिस आरक्षक ADG पवन देव यौन उत्पीड़न मामले का फिर निकला जिन्न, पीड़िता ने लगाई महिला आयोग में गुहार…
रायपुर
पिछले 4 साल से पुलिस महकमे की एक महिला कांस्टेबल अपने ऊपर हुए यौन उत्पीड़न मामले में न्याय पाने के लिए अपने ही महकमे के दरवाजे को खटखटाते हुए थक चुकी है लेकिन अब तक उसे न्याय नहीं मिल सका है ऐसे में अब एक बार फिर से यह मामला 4 साल बाद किसी दिन की तरह सामने आ चुका है । मुंगेली की महिला कॉन्स्टेबल व बिलासपुर के तत्कालीन IG पवन देव यौन उत्पीड़न मामले में बुधवार को पीड़िता महिला कांस्टेबल ने अपनी पूरी शिकायत जिसमे आंतरिक शिकायत समिति की जांच रिपोर्ट भी शामिल है जिसमे पवन देव को दोषी माना गया था सहित अपना आवेदन मूँगेली के सर्किट हाउस में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक को सौंपा और न्याय की गुहार लगाई।
आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट में पूरा साफ हो गया था यह मामला
ज्ञात हो की 30 जून 2016 को महिला कांस्टेबल ने बिलासपुर के तत्कालीन आईजी पवन देव द्वारा उसके साथ फ़ोन पर अश्लील बातें करने तथा दबाव पूर्वक अपने बंगले बुलाने की शिकायत की थी मामला काफी सुर्खियों में आया था । शिकायत की जांच आईएएस रेणु जी पिल्ले सहित 4 सदस्यों की समिति ने की थी समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट 15 दिसम्बर 2016 को ही सरकार को सौप दी थी समिति की जांच रिपोर्ट में पवन देव दोषी पाये गये थे । किंतु आज तक उस रिपोर्ट में कोई कार्यवाही नही हुई बल्कि पवन देव को आईजी से एडीजी पद पर प्रमोशन दे दिया गया था।
और फिर भी दे दिया गया आरोपी पूर्व आईजी को प्रमोशन
30 जून 2016 को महिला आरक्षक ने बिलासपुर के तत्कालीन आईजी पवन देव द्वारा उसके साथ फ़ोन पर अश्लील बातें करने तथा दबाव पूर्वक अपने बंगले बुलाने की शिकायत की थी। इसकी जांच आईएएस रेणु पिल्ले सहित 4 सदस्यों की समिति ने की और कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट 15 दिसम्बर 2016 को ही पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार को सौप दी थी। कमेटी की जांच रिपोर्ट में पवन देव लगे सारे आरोपो को सही पाया और उन्हें दोषी ठहराया गया। वही आज तक इस रिपोर्ट पर कार्रवाई के बजाय पवन देव को आईजी से एडीजी पद पर प्रमोशन दे दिया गया।
तत्कालीन एसपी और चकरभाटा टीआई पर मामला दर्ज करने की मांग
पीड़िता ने राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष को सौंपे आवेदन में तत्कालीन एसपी मयंक श्रीवास्तव और थाना प्रभारी चकरभाटा राजेश श्रीवास्तव के ऊपर भी मामला दर्ज किए जाने की मांग की है। पीड़िता ने सौपे गए शिकायत पत्र में बताया कि जब यह घटना हुई तो इसकी जानकारी चकरभाटा टीआई राजेश श्रीवास्तव एवं तत्कालीन एसपी मयंक श्रीवास्तव को भी दी गई। लेकिन उन्होंने संगेय मामला होने के बावजूद इस पर कार्यवाही नहीं की। इसी बीच कॉल डिटेल निकालकर सोशल मीडिया में वायरल किए गए। ऐसे में तत्कालीन थानेदार और एसपी पर धारा 166 क, 217 एवं 218 भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत मामला दर्ज होना चाहिए। पीड़िता की ओर से सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश शासन एसीसी 2014 का भी इसे उल्लंघन बताया गया।
आरोपी पूर्व आईजी को सबूतों और गवाहों को प्रभावित करने का दिया गया भरपूर मौका
यह काफी हैरानी की बात है कि पुलिस महकमे की एक पीड़िता को न्याय पाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। अब तक लगभग 4 साल बीत चुके हैं लेकिन आरोपी पूर्व आईजी पर अब तक f.i.r. नहीं हो सका । जबकि पुलिस महानिदेशक के आदेश 4 जुलाई 2016 के आधार पर कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न निवारण एवं प्रतिषेध और प्रतिशोध अधिनियम 2013 की धारा 4 के तहत जांच की गई और जांच समिति ने 2 दिसंबर 2016 को जांच रिपोर्ट विभागीय उच्चाधिकारी को सौंप दी। बताया जा रहा है कि इस जांच रिपोर्ट में महिला कांस्टेबल की ओर से लगाए गए आरोप सही पाए गए थे बावजूद इसके कार्रवाई नहीं हो सकी। संभव है कि 4 साल की अवधि में गवाहों और सबूतों को प्रभावित करने की कोशिश की गई हो यदि ऐसा हुआ तो उस न्याय का क्या मतलब जो इतने विलंब से मिले और आधा अधूरा मिले…।
पूर्व आईजी की ओर से केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में दी गई है चुनौती
इस संबंध में जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक पूर्व आईजी एवं आरोपी पवन देव महिला उत्पीड़न मामले शासन की ओर से आरोप पत्र पूर्व में ही जारी किया जा चुका है लेकिन उनकी ओर से केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में इस आरोप पत्र को चुनौती दी गई है इस वजह से अब तक मामला लंबित है।
क्या कहा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमई नायक ने
इस संबंध में महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमई नायक ने बताया की महिला कांस्टेबल की शिकायत मिली है । मैंने शिकायत को संज्ञान में ले लिया है। इस पर त्वरित कार्यवाही होगी।