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Breaking: स्टेट बैंक धमतरी में 1 करोड़ 10 लाख की जालसाजी!
कैनरा बैंक कर चुका था दोनों चेकों को खारिज

धमतरी
भारतीय स्टेट बैंक मेन ब्रांच धमतरी से लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग धमतरी के नाम पर फर्जी चेक बनाकर 1 करोड 10 लाख रूपए आहरण करने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है. हालांकि अभी तक इस मामले की रिपोर्ट दर्ज नही की गई है लेकिन प्रथम दृष्टया बैंक के अधिकारी, लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग के कर्मचारी और कुछ अज्ञात तत्वों की मिलीभगत की बू आ रही है. जिले में इस तरह का शायद यह पहला मामला है.

प्रारंभिक जांच में पता चला है कि लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग के नाम पर फजी चेक बनाकर एक चेक 58 लाख का तथा दूसरा चेक 52 लाख का—इस तरह कुल 1 करोड़ 10 लाख रूपए कार्यपालन अभियंता, संभागीय लेखापाल के फर्जी हस्ताक्षर से अज्ञात व्यक्ति द्वारा आहरण कर लिया गया. चेक मध्यप्रदेश के किसी फर्म के नाम पर जारी होना बताया जाता है. धोखाधड़ी करने वाले तथाकथित व्यक्ति द्वारा उक्त राशि से दुर्ग में सोना की खरीदी किये जाने की खबर है.

केनरा बैंक कर चुका था दोनों चेकों को खारिज
इधर जानकारी मिलने के बाद विभाग में हड़कम्प मचा हुआ है. आज शनिवार और कल रविवार होने के कारण फिलहाल जांच सोमवार को ही होगी लेकिन घटना पिछले हफ्ते की बतायी जा रही है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में कोई शिकायत किसी भी विभाग द्वारा अवकाश होने के कारण नही की गई है. बेहद चालाकीपूर्वक लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग के दो फर्जी चेक बनाए गए तथा वर्तमान विभाग द्वारा संचालित चेक बुक के नम्बर पता कर उसमें कार्यपालन अभियंता डिवीजन एकाउंटेंट का हस्ताक्षर करके पहले यह चेक केनरा बैंक में जमा किया गया जब वहां दाल नही गली तो इसे रिजेक्ट किया गया. उसके बाद षडयंत्रकारी द्वारा यह चेक स्टेट बैंक ब्रांच धमतरी क्लीयरेंस बाक्स में डाल दिया गया लेकिन बैंक द्वारा सोमवार को सस्पेंस एकाउटेंट से संबंधित के खाते में भुगतान कर दिया गया.

पहला चेक खादी ग्राम उद्योग रायपुर और दूसरा चेक दुर्ग के किसी अग्रवाल के नाम जारी
इधर इस संवाददाता ने जब पतासाजी की तो उक्त दोनों नम्बर के चेक खादी ग्राम उद्योग रायपुर और दूसरा चेक दुर्ग के किसी अग्रवाल के नाम से विभाग द्वारा जारी किया गया है। खबर है कि उसने दुर्ग की एक सोना चांदी की दुकान से बड़े पैमाने पर सोना की खरीदी की है. चेक नम्बर के माध्यम से उपर्युक्त राशि निकलने के बारे में आशंका जताई जा रही है कि अज्ञात व्यक्ति को चेक नम्बर नही दिखाया जाता, ऐसे में आहरण करने वाले व्यक्ति को लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग का चेक बुक का नंबर कैसे प्राप्त हुआ! इसमें कहीं बैंक, विभाग के किसी अधिकारी/कर्मचारी की मिलीभगत तो नही? मामला का खुलासा हुआ तब दोनों विभाग में खलबली मची हुई है।

सोमवार को बात करेंगे : प्रबंधक, स्टेट बैंक
दूसरी ओर एसबीआई से जुड़े सूत्र बताते हैं कि शासन का भुगतान होने के कारण चेक जल्द क्लीयरेंस कर देते हैं. यह राशि सस्पेंस खाता के माध्यम से प्रदान की गई है. संभवत: यह जिले का पहला मामला है जहां स्टेट बैंक से एक करोड़ 10 लाख रूपए की हेराफेरी कर दी गई. हालांकि विभाग के बिना सहयोग के किसी भी व्यक्ति को चेक सिरीयल नम्बर नही बताया जा सकता इसलिए विभागीय कर्मचारी की संलिप्तता से इंकार नही किया जा सकता. इस मामले में जब भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा के प्रबंधक मोनिश राय एवं क्षेत्रीय महाप्रबंधक नीरज चौबे से दूरभाष पर संपर्क किया गया तो उन्होंने सोमवार को मिलने कहकर टाल दिया. लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन अभियंता से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे सम्पर्क नही हो सका.

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